जय श्री काल भैरव
आदरणीय नाथ संप्रदाय के सिद्ध पुरुषों व ज्ञानियों विद्वानों को गोविंद नाथ देवड़ा की तरफ से आदेश आदेश
आदेश हम चाहे कितना भी सावधानी से जीवन व्यतीत करे.किन्तु जाने अनजाने हमारे शत्रु बन ही जाते है.इसका कोई भी कारण हो सकता है.परन्तु शत्रुता कैसी भी हो वो कष्ट का कारण बनती ही है.शत्रु के कारण सतत मानसिक,तथा आर्थिक कष्ट का अनुभव होता रहता है तो क्या हम शत्रु से हार मान ले नहीं कदापि नहीं जो हार मान जाये वो बहादुर इंसान नहीं हो सकता। बहादुर इंसान तो पाताल को फोड़कर जलधारा प्रगट करने की क्षमता रखता है शत्रु आपको विचलित कर सकता है किन्तु परास्त नहीं।क्योकी आपके पास साधना करने शक्ति है.इस विषय पर आपके समक्ष सर्वेश्वरी साधना के बारे मे जानकारी प्रस्तुत कर रहे है इस सर्वेश्वरी विद्या के अंतर्गत महाकाल भैरव भगवान वीरभद्र महाशक्ति मां भद्रकाली की शक्ति दिया हुआ कार्य पूरा करती है लेकिन इस विद्या का संपूर्ण ज्ञान वहीं इंसान दे सकता है जिस इंसान ने इस सर्वेश्वरी विद्या के मंत्र का कम से कम 10 लाख जप कर अनुष्ठान किया हो और तथा स्वयं इस महाशक्ति सर्वेश्वरी विद्या का प्रयोग करके देखा हो वहीं इस मंत्र की गुरु दीक्षा दे तो यह मंत्र अत्यधिक प्रभावशाली बन जाता है कोई अन्याई पुरुष अथर्व अनुचित इंसान इस मंत्र का दुरुपयोग ना कर सके इसीलिए मंत्र का इस लेख में कहीं भी उल्लेख नहीं हो सकता इसके संबंधित कोई जानकारी चाहिए तो लेखक कार से संपर्क करें इस मंत्र साधना की गुरु दीक्षा आपके अनुसार किसी सिद्ध या साधु से लेकर ही इस साधना के माध्यम से आप शत्रु के हर षड़यंत्र को विफल कर सकते है.साथ ही उसे स्वयं से दूर जाने पर विवश कर सकते है.प्रस्तुत साधना से ही आप अत्यंत बलशाली शत्रु पर विजय प्राप्त कर सकते है आपका अदृश्य सुरक्षा चक्र हमेशा के लिए बन जाता है लेकिन किसी का अनर्थ करने की चेष्टा न करे अन्यथा बार बार प्रयोग की तीव्रता से आपका अनिष्ट भी हो सकता है.अतः संकल्प केवल विजय प्राप्ति का हो आप किसी भी रविवार या अमावस्या की रात्रि ११ के बाद आरम्भ कर सकते है.आपका मुख दक्षिण की और हो.अपने सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर शिवलिंग स्थापित करे.सर्वेश्वरी विद्या शिव का ही रौद्र रूप है अतः आपको किसी अन्य विग्रह आदि की आवश्यकता नहीं है.आपके आसन वस्त्र लाल होना आवश्यक है। भगवान शिव का सामान्य पूजन करे.तिली के तेल का दीपक लगाये।तथा भोग में कोई भी मिठाई अर्पण करे.भगवान शिव के समक्ष प्रार्थना करे वे सर्वेश्वर रूप धारण कर हमारे जीवन से शत्रु का नाश करे तथा उसे पराजित करे.इसके बाद सर्वेश्वरी मंत्र की २१ माला जाप रुद्राक्ष माला से करे.मंत्र में के मध्य में शत्रु का नाम लेना पडता है जाप के बाद पूर्ण ह्रदय से प्रार्थना करे तथा प्रसाद स्वयं ग्रहण करे.यह क्रम तीन दिनों तक अवश्य करे.अंतिम दिन अग्नि प्रज्वलित कर घी तथा काली मिर्च को मिलाकर १०८ आहुति प्रदान करे.बाद में यज्ञ की भस्म को जल प्रवाह कर दे,थोड़ी सी भस्म संभाल कर रख ले,और शत्रु के द्वार पर मंत्र पड़कर भस्म फेक आये.अगर ये संभव न हो तो उसके घर की और मुख करके भस्म फुक मारकर मंत्र पडत हुए उड़ा दे.इस प्रकार ये साधना पूर्ण होती है,तथा साधक को शत्रु से मुक्ति प्रदान कर सुखी करती है तथा भोग और मोक्ष भी प्रदान करती है यह जानकारी आपके ज्ञान को बढाने हेतु बताई जा रही है हमारी यह कोशिश कितनी कामयाब हुई है यह तो आप ज्ञानी व विद्वानजन बतायेंगे। आदेश आदेश
आदरणीय नाथ संप्रदाय के सिद्ध पुरुषों व ज्ञानियों विद्वानों को गोविंद नाथ देवड़ा की तरफ से आदेश आदेश
आदेश हम चाहे कितना भी सावधानी से जीवन व्यतीत करे.किन्तु जाने अनजाने हमारे शत्रु बन ही जाते है.इसका कोई भी कारण हो सकता है.परन्तु शत्रुता कैसी भी हो वो कष्ट का कारण बनती ही है.शत्रु के कारण सतत मानसिक,तथा आर्थिक कष्ट का अनुभव होता रहता है तो क्या हम शत्रु से हार मान ले नहीं कदापि नहीं जो हार मान जाये वो बहादुर इंसान नहीं हो सकता। बहादुर इंसान तो पाताल को फोड़कर जलधारा प्रगट करने की क्षमता रखता है शत्रु आपको विचलित कर सकता है किन्तु परास्त नहीं।क्योकी आपके पास साधना करने शक्ति है.इस विषय पर आपके समक्ष सर्वेश्वरी साधना के बारे मे जानकारी प्रस्तुत कर रहे है इस सर्वेश्वरी विद्या के अंतर्गत महाकाल भैरव भगवान वीरभद्र महाशक्ति मां भद्रकाली की शक्ति दिया हुआ कार्य पूरा करती है लेकिन इस विद्या का संपूर्ण ज्ञान वहीं इंसान दे सकता है जिस इंसान ने इस सर्वेश्वरी विद्या के मंत्र का कम से कम 10 लाख जप कर अनुष्ठान किया हो और तथा स्वयं इस महाशक्ति सर्वेश्वरी विद्या का प्रयोग करके देखा हो वहीं इस मंत्र की गुरु दीक्षा दे तो यह मंत्र अत्यधिक प्रभावशाली बन जाता है कोई अन्याई पुरुष अथर्व अनुचित इंसान इस मंत्र का दुरुपयोग ना कर सके इसीलिए मंत्र का इस लेख में कहीं भी उल्लेख नहीं हो सकता इसके संबंधित कोई जानकारी चाहिए तो लेखक कार से संपर्क करें इस मंत्र साधना की गुरु दीक्षा आपके अनुसार किसी सिद्ध या साधु से लेकर ही इस साधना के माध्यम से आप शत्रु के हर षड़यंत्र को विफल कर सकते है.साथ ही उसे स्वयं से दूर जाने पर विवश कर सकते है.प्रस्तुत साधना से ही आप अत्यंत बलशाली शत्रु पर विजय प्राप्त कर सकते है आपका अदृश्य सुरक्षा चक्र हमेशा के लिए बन जाता है लेकिन किसी का अनर्थ करने की चेष्टा न करे अन्यथा बार बार प्रयोग की तीव्रता से आपका अनिष्ट भी हो सकता है.अतः संकल्प केवल विजय प्राप्ति का हो आप किसी भी रविवार या अमावस्या की रात्रि ११ के बाद आरम्भ कर सकते है.आपका मुख दक्षिण की और हो.अपने सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर शिवलिंग स्थापित करे.सर्वेश्वरी विद्या शिव का ही रौद्र रूप है अतः आपको किसी अन्य विग्रह आदि की आवश्यकता नहीं है.आपके आसन वस्त्र लाल होना आवश्यक है। भगवान शिव का सामान्य पूजन करे.तिली के तेल का दीपक लगाये।तथा भोग में कोई भी मिठाई अर्पण करे.भगवान शिव के समक्ष प्रार्थना करे वे सर्वेश्वर रूप धारण कर हमारे जीवन से शत्रु का नाश करे तथा उसे पराजित करे.इसके बाद सर्वेश्वरी मंत्र की २१ माला जाप रुद्राक्ष माला से करे.मंत्र में के मध्य में शत्रु का नाम लेना पडता है जाप के बाद पूर्ण ह्रदय से प्रार्थना करे तथा प्रसाद स्वयं ग्रहण करे.यह क्रम तीन दिनों तक अवश्य करे.अंतिम दिन अग्नि प्रज्वलित कर घी तथा काली मिर्च को मिलाकर १०८ आहुति प्रदान करे.बाद में यज्ञ की भस्म को जल प्रवाह कर दे,थोड़ी सी भस्म संभाल कर रख ले,और शत्रु के द्वार पर मंत्र पड़कर भस्म फेक आये.अगर ये संभव न हो तो उसके घर की और मुख करके भस्म फुक मारकर मंत्र पडत हुए उड़ा दे.इस प्रकार ये साधना पूर्ण होती है,तथा साधक को शत्रु से मुक्ति प्रदान कर सुखी करती है तथा भोग और मोक्ष भी प्रदान करती है यह जानकारी आपके ज्ञान को बढाने हेतु बताई जा रही है हमारी यह कोशिश कितनी कामयाब हुई है यह तो आप ज्ञानी व विद्वानजन बतायेंगे। आदेश आदेश
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