सर्वेश्वरी महा विद्या

                       सर्वेश्वरी महा विद्या
जय श्री काल भैरव

आदरणीय नाथ संप्रदाय के सिद्ध पुरुषों व ज्ञानियों विद्वानों को गोविंद नाथ देवड़ा की तरफ से आदेश आदेश

आदेश आज हमसे एक अति विद्वान पंडित ने पूछा कि हे नाथ जी मैंने कई लोगों से सर्वेश्वरी विद्या के बारे में सुना है

क्या आप सर्वेश्वरी विद्या के बारे में जानकारी रखते हैं अगर रखते हो तो कृपया विस्तार पूर्वक बताने की कृपा करें तो

 हम उन्हीं विद्वान पंडित जी के प्रश्नों का जवाब बाबा श्री कालभैरव के आदेश अनुसार देने की कोशिश कर रहे हैं यह कोशिश कितने कामयाब होगी यह तो आप लोग ही बताएंगे

 आदेश सर्वप्रथम हम आपको सर्वेश्वरी विद्या के मंत्र की जानकारी का ज्ञान देते इस सर्वेश्वरी विद्या के मंत्र का पहला अक्षर है

ओंकार अर्थात ब्रहमांड को संतुलित करने वाली ,,उग्रत्तम से उग्रतम उर्जा को भी संतुलित करने वाली शक्ति औकार रुपी ओम है

इस मंत्र का दूसरा अक्षर है,, हं अर्थात यह महाबली संकट मोचन हनुमान जी व क्रोध भैरव का भी बीज मंत्र कहलाता  है इस बीज मंत्र से हनुमान जी की पूर्ण कृपा दृष्टि और हनुमान जी की शक्ति साधक को मिल जाती है

इसका तीसरा अक्षर है ठ जो तामसिक शक्ति भूत प्रेत पिशाच  के बीज अक्षरों की शक्ति स्वरुप माना जाता है इसे तीन बार जप करना पड़ता है

इस  सर्वेश्वरी मंत्र का चौथा बीच मंत्र ह्रौं महाउग्र महाकाल का है जिन्है देवो के देव महादेव भी कहते हैं जो भगवान शिव का उग्रतम स्वरुप भी शंरभ देव कहलाते हैं

इस सर्वेश्वरी मंत्र का पांचवा बीच मंत्र है क्ष्रौं जो  भगवान श्रीहरि विष्णु जी के उग्र नरसिंह भगवान का कहलाता है ये बीज मंत्र भी अत्यंत ही विस्फोटक और उग्र होता है

इस सर्वेश्वरी विद्या का छठा बीज मंत्र ह्रीं कहलाता है यह मंत्र हर प्रकार की समस्या को हरने वाली महाशक्ति का बीज मंत्र कहलाता है ये भी अपने आप में असीम शक्तिशाली बीज मंत्र माना गया है

अर्थात यह 36 अक्षर से निमित सर्वाधिक उग्र मंत्र माना गया है और इसके 36 के 36 बीज मंत्र बड़े ही खतरनाक और उग्र शक्ति को जागृत करने में अत्यंत ही सक्षम होते हैं इसकी उग्रता की शक्ति को स्वयं भी महसूस कर चुके हैं

अगर कोई इस मंत्र का 9 बार अशुद्ध अर्थात गलत उच्चारण कर दे तो उसे 9 सेकंड में या 9 मिनट में या 9 घंटे में या 9 दिन में या 9 महीने तक भयंकर से भंयकर दंड भोगना पड़ता है या पागल भी हो सकता है ये उसे पैरालाइसिस अर्थात  विकलांगता का भी सामना करना पड़ सकता है


यहां महा मंत्र सर्व प्रकार की कार्य करने में सक्षम होता है इससे मोहन मारण स्तंभन विद्वेषण उच्चाटन शान्ति कर्म कर सकते हैं तथा सुख समृद्धि धन संपत्ति के अधिकारी बन सकते है इसी कारण से सर्वेश्वरी विद्या कहा जाता है इस मंत्र द्वारा भोग और मोक्ष दोनों मिल ही जाते  हैं

इस विद्या को उपयोग लेना बहुत ही कम लोग जानते हैं और जो जानते हैं वह किसी को बता नहीं सकते जब तक उन्हें यह विश्वास नहीं हो जाता कि यह पात्र सर्वेश्वरी विद्या सिखाने का लायक है या नहीं

और अगर कोई जिद करके  या बिना गुरु दीक्षा के कहीं से इस मंत्र को पढकर जप करने लगे तो उसको सिर्फ नुकसान ही हो सकता फायदा तो किसी सूरत में नहीं होता इससे सिर्फ गुरु मुख द्वारा संकल्प शक्ति के साथ धारण करना पड़ता है तब ही वह पात्र सर्वेश्वरी विद्या के लायक बनता है अन्यथा नहीं

इस सर्वेश्वरी विद्या के मंत्र को सिर्फ गुरु की सेवा और गुरु की भक्ति करने पर ही प्रदान किया जाता है

हमें स्वयं भी कभी अचानक किसी प्रकार की जरुरत पड़ने पर इस सर्वेश्वरी विद्या का उपयोग किया है जहां मंत्र अचानक से आई हुई परेशानी का तुरंत खात्मा करने में पूर्ण रुप से अचुक है

 इस मंत्र द्वारा कही पर भी अपनी रक्षा की जा सकती है यह महामंत्र मजाक में भी जपने लायक नहीं है अगर अशुद्ध उच्चारण किया तो आपका अनिष्टकारी मृत्यु निश्चित है शुद्ध उच्चारण किया तो हर प्रकार के कर्म में सफलता निश्चित है

हम तो क्या त्रिलोक व 14 भुवनो की सभी शक्तिया मिलकर भी इस महा मंत्र की महिमा बताए तो भी कम मानो हमने तो इस महामंत्र कि इसकी कुछ महिमा बताकर मानो सूर्य के सामने दीपक ही जलाया है

सर्वेश्वरी विद्या महामंत्र ऊँ हं ठ ठ ठ सें चां ठ ठ ठ हः ह्रौं ह्रौं ह्रें क्ष्रें क्ष्रों क्ष्रें क्ष्रं ह्रौं ह्रौं क्ष्रें ह्रीं स्मां ध्यां स्त्रीं सर्वेश्वरी हुं फट् स्वाहा

कमजोर इच्छाशक्ति व कमजोर मनोबल वाले इंसान इस महामंत्र का जप न ही करें तो अच्छा है

 अगर भूलवश या अज्ञान वश इस सर्वेश्वरी विद्या के महामंत्र की जानकारी बताने में कुछ गलती हो गई हो तो क्षमा करने की कृपा करें और अपने अपने विवेक अनुसार इस विषय में अपने विचार प्रकट करने की कोशिश करेंगे तो हमें अत्यंत ही प्रसंन्नता होगी

आदेश आदेश

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